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मुरादाबाद (डेस्क) चिकित्सा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हो रहे तेजी से बदलावों के साथ, घुटने और कूल्हे के प्रत्यारोपण में भी अद्भुत क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं, जो मरीजों के स्वास्थ्य परिणामों में उल्लेखनीय सुधार का वादा करते हैं। इन्हीं अत्याधुनिक विकासों में से एक है रोबोटिक-सहायता प्राप्त घुटने की रिसर्फेसिंग (प्रतिस्थापन) सर्जरी, जो मरीजों के इलाज में नई उम्मीदें जगा रही है। मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज, दिल्ली, इस प्रौद्योगिकी में अग्रणी बनकर उभरा है, जहाँ दो अत्याधुनिक रोबोटिक सिस्टम्स का उपयोग करके 3डी एडवांस रोबोटिक घुटने की रिसर्फेसिंग (प्रतिस्थापन) सर्जरी की जा रही है।मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज, दिल्ली के हड्डी रोग विभाग के उपाध्यक्ष और विभागाध्यक्ष, रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन, डॉ. (प्रोफ.) अनिल अरोड़ा ने बताया, “मैंने अपने 35 वर्षों के करियर में घुटने और कूल्हे के प्रत्यारोपण सर्जरी में हमेशा नवीनतम तकनीकों को अपनाने की कोशिश की है ताकि मरीजों को सर्वोत्तम संभव देखभाल मिल सके। 2012 में, मैंने उत्तरी भारत में पहली बार बिना पिन के कंप्यूटर नेविगेटेड घुटने का प्रत्यारोपण किया था, जो सटीकता सर्जरी में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। आज, मुझे गर्व है कि मैं दिल्ली-एनसीआर का एकमात्र सर्जन हूं जो दो रोबोटिक सिस्टम्स – वेलिस रोबोट और कुविस रोबोट का उपयोग टोटल नी रिसर्फेसिंग (टीकेआर) के लिए कर रहा हूँ। यह तकनीक मरीजों के लिए अधिक सटीकता, बेहतर संरेखण और तेज़ रिकवरी का वादा करती है।”रोबोटिक घुटने के प्रतिस्थापन की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए डॉ. अरोड़ा ने कहा, “इस तकनीक के माध्यम से हम मरीज के घुटने का वर्चुअल 3डी मॉडल तैयार करते हैं, जिससे हमें मरीज की व्यक्तिगत स्थिति और आवश्यकताओं के अनुसार एक विशेष योजना बनाने में मदद मिलती है। अत्याधुनिक सिस्टम्स की मदद से हम हड्डियों को कटने और प्रत्यारोपण को सही ढंग से संरेखित करने में उच्च सटीकता प्राप्त कर पाते हैं।”रोबोटिक सर्जरी की सटीकता पर बात करते हुए उन्होंने कहा, “रोबोटिक मार्गदर्शन के द्वारा हम यह सुनिश्चित करते हैं कि घुटने के प्रत्यारोपण को बिल्कुल सही संरेखण के साथ लगाया जाए, जिससे घुटने की बायोमैकेनिक्स में सुधार होता है और समय से पहले घिसाव और अन्य पोस्ट-ऑपरेटिव जटिलताओं का खतरा कम होता है। इसके परिणामस्वरूप प्रत्यारोपण की दीर्घकालिक सफलता सुनिश्चित होती है।”रोबोटिक-सहायता प्राप्त सर्जरी पारंपरिक तरीकों की तुलना में घुटने के अंदर के ऊतकों को कम काटती है, जिससे कम नुकसान होता है और मरीज को कम दर्द और तेजी से रिकवरी का अनुभव होता है। इस प्रक्रिया में खून की हानि भी कम होती है, जिससे सर्जरी सुरक्षित हो जाती है। रोबोटिक सिस्टम्स उन्नत सुरक्षा सुविधाओं से लैस होते हैं, जैसे टकराव से बचाव और हैप्टिक बाउंडरी कंट्रोल, जो सर्जरी के दौरान त्रुटियों के जोखिम को कम करते हैं। इसके अलावा, इस तकनीक में सर्जन को फेमोरल कैनाल को खोलने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे यह दिल और फेफड़ों की प्रक्रियाओं के लिए अधिक सुरक्षित हो जाती है।रोबोटिक तकनीक द्वारा प्राप्त सटीकता के कारण मरीजों को जल्दी से पुनर्वास प्राप्त होता है और वे जल्दी से अपनी दैनिक गतिविधियों में वापस लौट सकते हैं। इस सर्जरी की सफलता के पीछे वैज्ञानिक प्रमाण भी हैं, जिनमें कई अध्ययनों ने रोबोटिक-सहायता प्राप्त टोटल नी रिसर्फेसिंग (प्रतिस्थापन) की प्रभाव कारिता और लाभों को साबित किया है। मरीजों की संतुष्टि में भी वृद्धि देखी जा रही है, क्योंकि यह प्रक्रिया घुटने की प्राकृतिक संरचना को बनाए रखती है, जिससे मरीजों को एक स्वाभाविक घुटने का अहसास होता है।

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