मुरादाबाद (डेस्क) क्रोनिक दर्द एक ऐसी समस्या है जो हफ्तों, महीनों या सालों तक बनी रह सकती है। यह दर्द किसी चोट, गठिया या नर्व डैमेज होने से हो सकता है। लेकिन इसका असर सिर्फ शरीर तक सीमित नहीं रहता, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है। क्रोनिक दर्द और मानसिक स्वास्थ्य के बीच एक ऐसा संबंध बन जाता है, जहां एक समस्या दूसरी को बढ़ा देती है, जिससे मरीज को उभरने में और मुश्किल होती है।जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक दर्द में रहता है, तो उसकी रोजमर्रा की गतिविधियों, सोने के तरीके और जीने के अनुभव पर बुरा असर पड़ता है। लगातार दर्द से व्यक्ति थका हुआ और हताश महसूस करता है, जिससे धीरे-धीरे डिप्रेशन और चिंता जैसी मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। डॉ. अन्वेशा बनर्जी, कंसल्टेंट – पेन मैनेजमेंट, यथार्थ हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा ने बताया, ”दर्द और मानसिक स्वास्थ्य के बीच गहरा संबंध है, और इसे समझकर सही तरीके से इलाज करना बेहद जरूरी है। शारीरिक और मानसिक दोनों पहलुओं का ध्यान रखकर मरीज बेहतर जीवन जी सकते हैं और दर्द के प्रभाव को कम कर सकते हैं।”मेडिकल स्टडी में यह साबित हुआ है कि जो लोग लंबे समय तक दर्द झेलते हैं, उनमें डिप्रेशन का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में काफी ज्यादा होता है। इसका कारण यह है कि दर्द और डिप्रेशन दोनों मस्तिष्क में सेरोटोनिन और नोरेपिनेफ्रिन जैसे न्यूरोट्रांसमिटर्स पर असर डालते हैं, जो हमारे मूड और दर्द की भावना को नियंत्रित करते हैं।डिप्रेशन न केवल मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है, बल्कि दर्द की तीव्रता को भी बढ़ा देता है। डिप्रेशन से पीड़ित लोग अक्सर सामान्य से अधिक दर्द महसूस करते हैं। इससे दर्द और डिप्रेशन के बीच एक नकारात्मक चक्र बन जाता है, जिसे तोड़ना कठिन हो जाता है।इस चक्र को तोड़ने के लिए सही समय पर इलाज बेहद जरूरी है। इसमें दर्द के इलाज के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी होता है। दर्द से राहत पाने के लिए दवाइयों, फिजिकल थेरेपी और अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट, जैसे मसाज या एक्यूपंक्चर का इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) जैसी मानसिक स्वास्थ्य थेरेपी से मरीजों को दर्द से निपटने और उसे सहन करने के तरीके सिखाए जाते हैं। इसके अलावा, जीवनशैली में बदलाव जैसे नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और पूरी नींद से भी काफी फायदा होता है।क्रोनिक दर्द और मानसिक स्वास्थ्य की समस्या को सही इलाज और जीवनशैली के बदलावों से दूर किया जा सकता है। अगर समय पर इन समस्याओं को पहचानकर उनका उपचार किया जाए, तो मरीज दर्द और मानसिक तनाव दोनों से राहत पा सकते हैं, और उनका जीवन फिर से सामान्य हो जाएगा।
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