Sat. May 24th, 2025

मुरादाबाद (डेस्क) जिला सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों के देर से पहुंचने और जांच में देरी से मरीजों को परेशानी हो रही है। घंटों इंतजार और अल्ट्रासाउंड व जांच के लिए लंबी तारीख मिलने से लोगों को दोहरी दिक्कत उठानी पड़ रही है। हम भोजपुर से आए हैं… मेरी मां का रसौली का ऑपरेशन होना है। दो घंटे से बैठे हैं, डॉक्टर साहब अब तक नहीं आए हैं। यह शब्द शुक्रवार को सुबह 10 बजे जिला अस्पताल में सर्जन के कक्ष के बाहर खड़े मो. फैजान के थे। फैजान के साथ डॉक्टरों के कक्ष के बाहर मरीजों व तीमारदारों की लंबी कतार थी।अस्पताल में हर सुबह यही स्थिति रहती है। आठ बजे से ओपीडी शुरू करने का नियम सिर्फ गाइडलाइन तक सीमित है। हकीकत में डॉक्टर 10 बजे बैठते हैं। शुक्रवार को डॉक्टर के आने के बाद फैजान ने अपनी मां को दिखाया।डॉक्टर से परामर्श लेने में 11 बजे से ज्यादा काम समय हो गया। इसके बाद वह अल्ट्रासाउंड कराने पहुंचे तो 10 दिन बाद की तारीख दे दी गई। इसी तरह दोपहर डेढ़ बजे बुखार से पीड़ित नूर जहां इमरजेंसी में पहुंचीं। डॉक्टर ने पर्चे पर खून की जांच लिख दी।परिजन व्हीलचेयर पर बैठी नूर जहां को पैथोलॉजी में लेकर गए तो स्टाफ ने सैंपल लेने से मना कर दिया। स्टाफ का कहना था कि कल सुबह आना, जबकि अस्पताल में दोपहर दो बजे तक पर्चे बनते हैं और सवा दो बजे तक सैंपल लेने के आदेश हैं।मेडिकल कॉलेज बनेगा तो नहीं भटकेंगे मरीज यदि मुरादाबाद में मेडिकल कॉलेज बनेगा तो मरीजों को इस तरह भटकना नहीं पड़ेगा। मेडिकल कॉलेज में 24 घंटे जांच की सुविधा होती है। इसके साथ ही रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती होने से काम का दबाव कम होगा। मरीजों को अल्ट्रासाउंड के लिए 10 दिन बाद की तारीख नहीं मिलेगी।फिलहाल एक ही रेडियोलॉजिस्ट पर रोजाना 150 एक्स-रे, 20 अल्ट्रासाउंड, 10 सीटी स्कैन करने का दबाव रहता है। इसके बाद भी कई मरीज अल्ट्रासाउंड व सीटी स्कैन से रह जाते हैं। मानसिक रोगियों के लिए आने वाली दवा की किल्लत भी मेडिकल कॉलेज बनने से दूर हो सकती है।जंबो पैक के लिए निजी अस्पतालों पर निर्भर हैं मरीज

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