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श्री राम कथामृत महोत्सव में सप्तम दिवस पर गुरु शब्द का अर्थ समझाया।

मुरादाबाद में बुधवार को बुद्धि विहार स्थित ब्रेड फैक्ट्री के पास चल रही नौ दिवसीय श्री राम कथा के सप्तम दिवस पर लोहिया मानव कल्याण ट्रस्ट व अन्य ट्रस्ट द्वारा कथा के प्रारंभ में पं पूज्य श्री रमेश भाई ओझा जी ने कहा कि पत्थर से भगवान की मूर्ति तैयार करनी होती है तो मूर्ति को पत्थर में डाला नहीं जाता है पत्थर में वह मूर्ति होती है परंतु ढकी हुई है उसको प्रकट किया जाता है वह शिल्पकार किया करता है हाथ में हथोड़ा और छैनी लेकर कुशलता पूर्वक पत्थर के फालतू हिस्से को हटाता है और मूर्ति प्रकट हो जाती है, इसी प्रकार सद्गुरु किया करते हैं उस आवरण को हटाते हैं जो शिष्य के ऊपर जो अंधकार के रूप में होता है। गुरु शब्द का अर्थ है गु का अर्थ है अज्ञान और रू का अर्थ है अंधकार का नाश गुरु शिष्य के अज्ञान के अंधकार को हटाता है। इसलिए गुरु कहलाता है।


कुंभकरण अलंकार का प्रतीक है क्योंकि उसने युद्ध में सेना ले जाने के लिए मना कर दिया, उसको अपने शरीर पर अहंकार था, इसी प्रकार रावण मोह का प्रतीक है और इंद्रजीत काम का प्रतीक है। रावण मारता था कुंभकरण खाता था और इंद्रजीत बांधता था। अच्छाई का अभिमान सबसे बड़ी बुराई है अच्छाई के अभिमान से बचने के लिए गुरु का होना आवश्यक है।


रावण के पतन का कारण था कि उसका कोई गुरु न होना। रामकथा में कथा व्यास जी ने कहा कि जब विश्वामित्र जी ने जब राम को पहली बार देखा तब उनको लगा कि राम में कुछ तो है और कुछ विश्वास हुआ परंतु पूर्ण रूप से विश्वास नहीं हुआ कि यही हरि है और दशरथ के सामने जाकर बोले कि निशाचर हमारे यज्ञ पाठ नहीं करने देते हैं इसलिए उन निशाचरो के नाश करने के लिए मैं राम को मांगने आया हूं और यह सुनकर दशरथ के मुख की मुस्कान गायब हो गई और दशरथ जी ने कहा आप कहे तो गुरुवर मैं आपके साथ चलता हूं क्योंकि राम तो अभी बालक है प्रजा की रक्षा करने का दायित्व तो राजा का होता है। और यह सुन कर विश्वामित्र जी ने वशिष्ठ जी की और देखा तब वशिष्ठ जी ने कहा राजन आप रघुवंश की परंपरा को निभाओ और दशरथ से कहते हैं कि आपको यह चारों पुत्र इसी यज्ञ के द्वारा प्राप्त हुए है और इसी यज्ञ की रक्षा के लिए दो पुत्र मांग रहे हैं। फिर दशरथ कुछ नहीं कह पाए और विशिष्ट जी ने कहा कि राम आप जाओ और रक्षा करो। और राम जी नें पिताजी से आज्ञा ली और मां से जाने की आज्ञा लेने के लिए पहुंचे और मां ने कहा क्षत्राणी इसी दिन के लिए पुत्र को जन्म देती है वह समय आया है और आप राष्ट्र की रक्षा के लिए जाओ और विश्वामित्र के साथ वन की और चल दिए रास्ते में उनको ताड़का मिली और राम जी 15 वर्ष के थे जब ताड़का का वध किया तथा एक वाण से ही ताड़का के प्राण ले लिए, राम जी ने मारा नहीं है उसका उद्धार किया।




    आरती में विनीत कुमार गुप्ता लोहिया, विभोर कुमार गुप्ता लोहिया, विपिन कुमार गुप्ता लोहिया, श्री राम कथामृत महोत्सव समिति के अध्यक्ष महेश चंद्र अग्रवाल प्रिया अग्रवाल, महामंत्री प्रवीण कुमार, कोषाध्यक्ष अंकुर अग्रवाल इसके उपरांत
    मुख्य अतिथि ओम प्रकाश सिंह प्रधानाचार्य कृष्णा बाल विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, नारायण कुमार लोहिया सरस्वती बालिका विद्या मंदिर, विजय गुप्ता अटूस एक्सपोर्ट, मानी राम जी आर आरएस, विशेष गुप्ता पूर्व बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष का प्रतिभाग रहा। मंच का संचालन बाबा संजीव आकांक्षी और रितु नारंग के द्वारा किया गया। कथा में अवधेश लोहिया, कुमकुम गुप्ता, नैन तारा गुप्ता, शिखा गुप्ता, भारती गुप्ता, अनुभव लोहिया, अनमोल लोहिया, आकर्ष लोहिया, अनिल कुमार शर्मा, विवेक शर्मा, अजय नारंग, शुभम भारद्वाज, ज्ञानेंद्र शर्मा, राम रतन शर्मा, राजेश सक्सेना, गौरव अग्रवाल, पंकज सक्सेना, विनोद राय, परिश सक्सेना, राकेश गुप्ता, श्याम सुंदर गॉड, सचिन गुप्ता, विनीत गुप्ता, राकेश अग्रवाल, प्रदीप शुक्ला, अजय नारंग, विपिन कुमार, सुमित शर्मा, हरी गोपाल शर्मा, शशि अरोड़ा आदि भक्तगण उपस्थित रहे।

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